महर्षि वाल्मीकि के ये अनमोल वचन आपके जीवन को बदल कर रख देंगे. (Top 10 Best sayings of Maharishi valmiki in hindi that will change your life perspective.)
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Sayings Of Maharishi Valmiki |
Top 10 best sayings,sms,quotes and messages of Maharishi valmiki in hindi that will change your life.
जीवन परिचय
महर्षि वाल्मीकि का जन्म नागा प्रजाति में हुआ था। महर्षि बनने के पहले वाल्मीकि रत्नाकर के नाम से जाने जाते थे। वे परिवार के पालन-पोषण हेतु दस्युकर्म करते थे। एक बार उन्हें निर्जन वन में नारद मुनि मिले। जब रत्नाकर ने उन्हें लूटना चाहा, तो उन्होंने रत्नाकर से पूछा कि यह कार्य किसलिए करते हो, रत्नाकर ने जवाब दिया परिवार को पालने के लिये। नारद ने प्रश्न किया कि क्या इस कार्य के फलस्वरुप जो पाप तुम्हें होगा उसका दण्ड भुगतने में तुम्हारे परिवार वाले तुम्हारा साथ देंगे। रत्नाकर ने जवाब दिया पता नहीं, नारदमुनि ने कहा कि जाओ उनसे पूछ आओ। तब रत्नाकर ने नारद ऋषि को पेड़ से बाँध दिया तथा घर जाकर पत्नी तथा अन्य परिवार वालों से पूछा कि क्या दस्युकर्म के फलस्वरुप होने वाले पाप के दण्ड में तुम मेरा साथ दोगे तो सबने मना कर दिया। तब रत्नाकर नारदमुनि के पास लौटे तथा उन्हें यह बात बतायी। इस पर नारदमुनि ने कहा कि हे रत्नाकर यदि तुम्हारे घरवाले इसके पाप में तुम्हारे भागीदार नहीं बनना चाहते तो फिर क्यों उनके लिये यह पाप करते हो। यह सुनकर रत्नाकर को दस्युकर्म से उन्हें विरक्ति हो गई तथा उन्होंने नारदमुनि से उद्धार का उपाय पूछा। नारदमुनि ने उन्हें राम-राम जपने का निर्देश दिया।
रत्नाकर वन में एकान्त स्थान पर बैठकर राम-राम जपने लगे लेकिन अज्ञानतावश राम-राम की जगह मरा-मरा जपने लगे। कई वर्षों तक कठोर तप के बाद उनके पूरे शरीर पर चींटियों ने बाँबी बना ली जिस कारण उनका नाम वाल्मीकि पड़ा। कठोर तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने इन्हें ज्ञान प्रदान किया तथा रामायण की रचना करने की आज्ञा दी। ब्रह्मा जी की कृपा से इन्हें समय से पूर्व ही रामायण की सभी घटनाओं का ज्ञान हो गया तथा उन्होंने रामायण की रचना की। कालान्तर में वे महान ऋषि बने।
आदिकवि शब्द 'आदि' और 'कवि' के मेल से बना है। 'आदि' का अर्थ होता है 'प्रथम' और 'कवि' का अर्थ होता है 'काव्य का रचयिता'। वाल्मीकि ऋषि ने संस्कृत के प्रथम महाकाव्य की रचना की थी जो रामायण के नाम से प्रसिद्ध है। प्रथम संस्कृत महाकाव्य की रचना करने के कारण वाल्मीकि आदिकवि कहलाये।
महर्षि वाल्मीकि के 10 अनमोल वचन (10 Sayings Of Maharishi Valmiki)
जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है |
प्रण को तोड़ने से पुण्य नष्ट हो जाते हैँ |
माया के दो भेद है अविद्या और विद्या |
दुखी लोग कौन सा पाप नहीँ करते |
असत्य के समान पातकपुंज नहीँ है समस्त सत्यकर्मो का आधार सत्य ही है |
प्रियजनो से भी मोहवश अत्यधिक प्रेम करने से यश चला जाता है |
अति संघर्ष से चंदन मेँ भी आग प्रकट हो जाती है उसी प्रकार बहुत अवज्ञा किए जाने पर ज्ञानी के भी हृदय मेँ क्रोध उपज जाता है |
संत दूसरोँ को दुख से बचाने के लिए कष्ट रहते हैँ दुष्ट लोग दूसरोँ को दुख मेँ डालने के लिए |
नीचे कि नमृता अत्यंत दुख दाई है अंकुश, धनुष ,साप और बिल्ली झुककर वार करते हैँ |
उत्साह से बढ़कर दूसरा कोई बल नहीँ है |
author : Pratibha Mod ~ http://besthindiblogofindia.blogspot.in/