स्वामी राम तीर्थ के 11 अनमोल वचन(5 Precious Sayings,sms,messages and quotes of Swami Rama Tirtha).
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स्वामी राम तीर्थ के 11 अनमोल वचन(Swami Rama Tirtha Sayings) |
जीवन परिचय (Swami Rama Tirtha Biography)
स्वामी रामतीर्थ का जन्म सन् १८७३ की दीपावली के दिन पंजाब के गुजरावालां जिले मुरारीवाला ग्राम में पण्डित हीरानन्द गोस्वामी के एक धर्मनिष्ठ ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके बचपन का नाम तीर्थराम था। विद्यार्थी जीवन में इन्होंने अनेक कष्टों का सामना किया। भूख और आर्थिक बदहाली के बीच भी उन्होंने अपनी माध्यमिक और फिर उच्च शिक्षा पूरी की। पिता ने बाल्यावस्था में ही उनका विवाह भी कर दिया था। वे उच्च शिक्षा के लिए लाहौर चले गए। सन् १८९१ में पंजाब विश्वविद्यालय की बी० ए० परीक्षा में प्रान्त भर में सर्वप्रथम आये। इसके लिए इन्हें ९० रुपये मासिक की छात्रवृत्ति भी मिली। अपने अत्यंत प्रिय विषय गणित में सर्वोच्च अंकों से एम० ए० उत्तीर्ण कर वे उसी कालेज में गणित के प्रोफेसर नियुक्त हो गए।[3] वे अपने वेतन का एक बड़ा हिस्सा निर्धन छात्रों के अध्ययन के लिये दे देते थे। इनका रहन-सहन बहुत ही साधारण था। लाहौर में ही उन्हें स्वामी विवेकानन्द के प्रवचन सुनने तथा सान्निध्य प्राप्त करने का अवसर मिला। उस समय वे पंजाब की सनातन धर्म सभा से जुड़े हुए थे।
आध्यात्मिक साधना (Swami Rama Tirtha Spiritual Life)
तुलसी, सूर, नानक, आदि भारतीय सन्त; शम्स तबरेज, मौलाना रूसी आदि सूफी सन्त; गीता, उपनिषद्, षड्दर्शन, योगवासिष्ठ आदि के साथ ही पाश्चात्य विचारवादी और यथार्थवादी दर्शनशास्त्र, तथा इमर्सन, वाल्ट ह्विटमैन, थोरो, हक्सले, डार्विन आदि मनीषियों का साहित्य इन्होंने हृदयंगम किया था।
इन्होंने अद्वैत वेदांत का अध्ययन और मनन प्रारम्भ किया और अद्वैतनिष्ठा बलवती होते ही उर्दू में एक मासिक-पत्र "अलिफ" निकाला। इसी बीच उन पर दो महात्माओं का विशेष प्रभाव पड़ा - द्वारकापीठ के तत्कालीन शंकराचार्य और स्वामी विवेकानन्द।
स्वामी राम तीर्थ के 11 अनमोल वचन(Swami Rama Tirtha Sayings)
जिसे निज गौरव का भान रहता है वह किसी चीज को मुफ्त पा जाने की बनिस्बत उसे अपने पौरुष से प्राप्त करता है |
कोई चीज कितनी भी प्यारी क्योँ न हो अगर वह आत्म साक्षात्कार मेँ बाधक हो तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए |
सांसारिक वस्तुओं मेँ सुख की तलाश करना व्यर्थ है आनंद का खजाना तुंहारे भीतर ही है |
परस्पर विरोधी इच्छाएँ कठिनाइयाँ रंज और दुख लाती हैँ |
इच्छाओं से ऊपर उठ जाओ वह पूरी हो जाएगी और मांगोगे उनकी पूर्ति तुमसे और दूर जा पड़ेगी |
जब आदमी उत्तम काम करने लगता है तो उससे धरती के काम दूसरी संभालते हैँ |
उसकी जय कभी नहीँ हो सकती जिसका मन पवित्र नहीँ है |
जिस समय सब लोग तुंहारी प्रशंसा करेंगे वह समय तुंहारे रोने का होगा |
चिंताए, परेशानियाँ ,दुख और तकलीफे परिस्थितियोँ से लड़ने से दूर नहीँ हो सकती वह दूर होंगी अपनी भीतरी दुर्बलता दूर करने से जिसके कारण ही वह पैदा हुई है |
हमारे समस्त दुख का प्रमुख कारण यह है कि हम स्वयँ अपने प्रति ही सच्चे न रहकर दूसरोँ को खुश करते रहते हैँ |
पाप की गुलामी करने वाली आजादी को नष्ट कर दो |
author : Pratibha Mod ~ http://besthindiblogofindia.blogspot.in/