स्वामी विवेकानंद के ये अनमोल वचन आपके जीवन को बदल कर रख देंगे. (Top 10 Best sayings of Swami Vivekanand in hindi that will change your life perspective.)
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Sayings Of Swami Vivekanand |
Top 10 best sayings,sms,quotes and messages of Swami vivekanand in hindi that will change your life.
जीवन परिचय
स्वामी विवेकानन्द का जन्म १२ जनवरी सन् १८६३ (विद्वानों के अनुसार मकर संक्रान्ति संवत् १९२०) को कलकत्ता में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट के एक प्रसिद्ध वकील थे। विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते थे। वे अपने पुत्र नरेन्द्र को भी अँग्रेजी पढ़ाकर पाश्चात्य सभ्यता के ढर्रे पर चलाना चाहते थे। परन्तु उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों की महिला थीं। उनका अधिकांश समय भगवान शिव की पूजा-अर्चना में व्यतीत होता था। नरेन्द्र की बुद्धि बचपन से ही बड़ी तीव्र थी और परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। इस हेतु वे पहले ब्रह्म समाज में गये परन्तु वहाँ उनके चित्त को सन्तोष नहीं हुआ। वे वेदान्त और योग को पश्चिम संस्कृति में प्रचलित करने के लिये महत्वपूर्ण योगदान देना चाहते थे।
दैवयोग से विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। घर का भार नरेन्द्र पर आ पड़ा। घर की दशा बहुत खराब थी। अत्यन्त दरिद्रता में भी नरेन्द्र बड़े अतिथि-सेवी थे। वे स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते स्वयं बाहर वर्षा में रात भर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते।
स्वामी विवेकानन्द अपना जीवन अपने गुरुदेव रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे। उनके गुरुदेव का शरीर अत्यन्त रुग्ण हो गया था। गुरुदेव के शरीर-त्याग के दिनों में अपने घर और कुटुम्ब की नाजुक हालत व स्वयं के भोजन की चिन्ता किये बिना वे गुरु की सेवा में सतत संलग्न रहे।
विवेकानन्द बड़े स्वप्नदृष्टा थे। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी जिसमें धर्म या जाति के आधार पर मनुष्य-मनुष्य में कोई भेद न रहे। उन्होंने वेदान्त के सिद्धान्तों को इसी रूप में रखा। अध्यात्मवाद बनाम भौतिकवाद के विवाद में पड़े बिना भी यह कहा जा सकता है कि समता के सिद्धान्त का जो आधार विवेकानन्द ने दिया उससे सबल बौद्धिक आधार शायद ही ढूँढा जा सके। विवेकानन्द को युवकों से बड़ी आशाएँ थीं। आज के युवकों के लिये इस ओजस्वी सन्यासी का जीवन एक आदर्श है। उनके नाना जी का नाम श्री नंदलाल बसु था।
स्वामी विवेकानंद के 10 अनमोल वचन (10 Sayings Of Swami Vivekanand)
गुलामी को कर्तव्य समझ लेना कितना आसान है |
जो दूसरोँ से घृणा करता है वह स्वयँ पतित हुए बिना नहीँ रह सकता |
दुनिया क्या कहेगी मुझ पर हंसेगी क्या ? ऐसे दुर्बल विचारो को न आने देकर अपने को जो योग्य लगे , वैसा काम हमेशा करना चाहिए यही जीवन का रहस्य है |
अपने पूर्वजो के खोदे हुए कुऐं खारा पानी पीकर दूसरे के शुद्ध जल त्याग करनेवाले बहुत- से मूर्ख इस संसार मेँ घूमते फिरते हैँ |
मनुष्य का अनुमान कभी भी उस की त्रुटियों नहीँ लगाना चाहिए त्रुटिया तो मानवता की सामान्य दुर्बलताए हैं |,
महान सदगुण मनुष्य के अपने होते हैँ |
प्रेम समय और स्थान की सीमा से परे है |
सच्चा गुरु अनुभव है |
संसार की प्रत्येक पाप के लिए प्रत्येक प्राणी जिम्मेदार है |
भय से ही दुख आते हैँ भय से ही मृत्यु होती है भय से ही बुराइयाँ जन्म लेती है |
अपना जीवन लेने के लिए नहीँ देने के लिए है |
जो धर्म भूखे को अन्न न दे सके उसे मैँ धर्म नहीँ मानता |
author : Pratibha Mod ~ http://besthindiblogofindia.blogspot.in/