कबीर एवं रहीम के ये अनमोल वचन आपके जीवन को बदल कर रख देंगे. (Top 10 Best sayings of Kabir and Raheem in hindi that will change your life perspective.)
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कबीर एवं रहीम के 10 अनमोल वचन(10 Sayings Of Kabir And Raheem) |
Top 10 best sayings,sms,quotes and messages of Kabir and Rahim in hindi that will change your life.
कबीर हिंदी साहित्य के भक्ति कालीन युग में ज्ञानाश्रयी- निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे। इनकी रचनाओं ने हिंदी प्रदेश के भक्ति आंदोलन को गहरे स्तर तक प्रभावित किया।
Kabir Sayings
यदि कोई मुझे अपमान पूर्वक अमृत पिलाए, उससे तो यही अच्छा है की वह मुझे बुलाकर सम्मानपूर्वक विष दे दे और मैं मर जाउ|
उपकार करने वाले को उसी प्रकार सुख स्वयं प्राप्त होता हैं जैसे मेहंदी पीसने वाले के हाथ मे अनायास मेहंदी का रंग लग जाता हैं|
बड़े लोगो का साथ मिलने पर छोटे लोगो को नही छोर देना चाहिए क्यूकी जहा सुई का काम होता हैं, वहा तलवार कुछ नही कर सकती|
सज्जन को दुर्जन का साथ नही करना चाहिए यदि काला बर्तन पकड़ा जाएगा तो उससे कालिख लग ही जाएगी|
जब छोटे लोग बड़े हो जाते हैं तो उत्पात करने लगते हैं जैसे शतरंज मे जब प्यादा फर्जी हो जाता हैं तो वह टेढ़ा चलता हैं|
जिन मनुष्यो को किसी चीज़ की आवशयकता नही होती वे ही बादशाहो के बादशाह होते हैं|
यदि मेरे मन मे किसी चीज़ की चाह नही होती मे पूर्ण ब्रम्हा होता|
लाख कोशिश करने पर बिगड़ी बात नही बनती, जैसे एक बार कांजी पड़ने से दूध फट जाता हैं तो दुबारा किसी प्रकार भी दूध नही बन सकता|
कबीर के 20 मुख्य दोहे
यह 20 दोहे हर किसी व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक सोच लाते हैं।
1 पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय,
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।
2 चाह मिटी, चिंता मिटी, मनवा बेपरवाह,
जिसको कुछ नहीं चाहिए वह शहनशाह।
3 बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।
4 माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोये
एक दिन ऐसा आयेगा मैं रौंदूंगी तोय।
5 धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।
6 दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करै न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे दुःख काहे को होय ॥
7 साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै, थोथा देई उड़ाय।
8 माला फेरत जुग भया, फिरा न मन का फेर,
कर का मनका डार दे, मन का मनका फेर।
9 बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि,
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।
10 गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागु पाए,
बलिहारी गुरु आपनो, गोविन्द दियो मिलाय।
11 मक्खी गुड में गडी रहे, पंख रहे लिपटाये,
हाथ मले और सिर ढूंढे, लालच बुरी बलाये।
12 कबीर संगत साधु की, नित प्रति कीजै जाय,
दुरमति दूर बहावासी, देशी सुमति बताय।
13 निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय,
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
14 साईं इतना दीजिये, जा में कुटुम समाय,
मैं भी भूखा ना रहूँ, साधू ना भूखा जाय।
15 दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार,
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े, बहुरि न लागे डार।
16 बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर,
पंथी को छाया नहीं फल लगे अति दूर।
17 तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय।
18 माया मरी ना मन मरा, मर-मर गए शरीर,
आशा तृष्णा ना मरी, कह गए दास कबीर।
19 जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिये ज्ञान,
मोल करो तरवार का, पड़ा रहन दो म्यान।
20 अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,
अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।